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संस्कार क्या है

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   ━❀꧁  संस्कार क्या है  ꧂❀━

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     एक राजा के पास सुन्दर घोड़ी थी. 
       🐎 ... कई बार युद्व में ... 🏇
  इस घोड़ी ने राजा के प्राण बचाये, और 
    वह राजा के लिये पूरी वफादार थी.

    घोड़ी ने एक बच्चे को जन्म दिया, 
       लेकिन बच्चा काना पैदा हुआ, 
   पर ... शरीर हृष्ट-पुष्ट व सुडौल था.

  बच्चा बड़ा हुआ तो उसने माँ से पूछा ~
  माँ ! मैं बहुत बलवान हूँ, पर काना हूँ,
            यह कैसे हो गया.

          घोड़ी बोली ~ बेटा ! 
    जब मैं गर्भवती थी, तू पेट में था, 
 तब राजा ने मुझ पर सवारी करते समय 
         मुझे एक कोड़ा मार दिया, 
     जिसके कारण तू काना हो गया.

       यह बात सुनकर बच्चे को 
     राजा पर गुस्सा आया और वो 
  माँ से बोला ~ मैं इसका बदला लूँगा.

            माँ ने कहा ~ राजा ने 
      हमारा पालन-पोषण किया है, 
         तू जो स्वस्थ है, सुन्दर है, 
            उसी पोषण से तो है.

  यदि राजा को एक बार गुस्सा आ गया,
     तो ... इसका अर्थ यह नहीं है कि 
                हम उसे क्षति पहुँचाये. 
              पर उस बच्चे के समझ में 
                     कुछ नहीं आया. 
              उसने मन ही मन राजा से 
                बदला लेने की सोच ली.

           एक दिन यह मौका
             घोडे़ को मिल गया.
         राजा उसे युद्व पर ले गया. 
      लड़ते-लड़ते राजा घायल हो गया, 
           घोड़ा उसे तुरन्त उठाकर ...
             वापिस महल ले आया.

   इस पर घोड़े को ताज्जुब हुआ, और 
             उसने माँ से पूछा ~ 
      आज राजा से बदला लेने का
           अच्छा मौका था, पर 
     युद्व के मैदान में बदला लेने का 
           ख्याल ही नहीं आया.
           मन ने गवाही नहीं दी.

   इस पर घोड़ी हंस कर बोली ~ बेटा !
      तेरे खून में और तेरे संस्कार में
     धोखा है ही नहीं, तू जानकर तो
       धोखा दे ही नहीं सकता है.

          तुझसे नमक हरामी 
        हो ही नहीं सकती, क्योंकि ...
  तेरी नस्ल में तेरी माँ का ही तो अंश है.

       ─⊱━━━━⊱⊰━━━━━⊰─

       वाकई ... यह सत्य है, कि ...
    जैसे हमारे संस्कार होते है, वैसा ही
      हमारे मन का व्यवहार होता है,

          हमारे पारिवारिक संस्कार 
  अवचेतन मस्तिष्क में गहरे बैठ जाते हैं.
    हमारे कर्म ही 'संस्‍कार' बनते है, और 
      संस्कार ही प्रारब्ध का रूप लेते हैं.
               यदि हम कर्मो को
            सही व बेहतर दिशा दें, तो ...
             संस्कार अच्छे बनेंगे और 
              संस्कार अच्छे बनेंगे, तो 
            जो प्रारब्ध का फल बनेगा, 
             वह मीठा व स्वादिष्ट होगा.

              अत: हमें प्रतिदिन 
            कोशिश करनी होगी, कि 
      हमसे जानकर कोई धोखा न हो, 
         गलत काम न हो और हम 
                 किसी के साथ 
            कोई भी चीटिंग न करें. 
                बस इसी से स्थिति 
       अपने आप ठीक होती जायेगी,

      और ... किसी भी परिस्थिति में 
         प्रभु की शरण न छोड़ें, तो 
    अपने आप सब अनुकूल हो जायगा.

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